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Sukma Collector Vinit nandanwar की कहानी, जिन्हें आदिवासियों ने उन्हीं के ऑफिस से खदेड़ दिया

बिना शर्ट के अपने गठीले बदन को दिखाते, ये कोई बॉडी बिल्डर नहीं हैं. बल्कि ये हैं छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके सुकमा के Collector, विनीत नंदवार. इनके बारे में हम आपको आज कुछ खास बाते बताने जा रहे हैं. ये बातें हम इस वक्त आपको इसलिये बता रहे हैं. क्योंकि इस वक्त ये काफी सुर्खियों में हैं. और सुर्खियों में इसलिये हैं, कि इन्होने, जिस बस्तर और बस्तर के आदिवासियों के बीच रहकर पढाई की, और  Collector जैसे प्रतिष्ठित ओहदे तक पहुंचे. आज वही आदिवासी इनसे बेहद नाराज हैं.

नाराजगी भी इतनी हो गई है. कि इन आदिवासियों ने Collectorसाहब को उनके ऑफिस से ही खदेड़ दिया. ये सब क्यों हुआ. Collector विनीत नंदवार कौन हैं. वे किन हालातों का सामना करते हुए Collector जैसे पद तक पहुंचे. इन सब बातों के जवाब आपको मिलने जा रहे हैं

दरअसल कुछ वक्त पहले ही, नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के Collector विनीत नंदनवार की ये तस्वीरें इंटरनेट मीडिया में खूब छाई थीं. बिना शर्ट की इन तस्वीरों में वे सिक्स पैक ऐब्स दिखाते नजर आ रहे थे. लोगों ने इनके बारे में खूब इंटरनेट पर भी सर्च किया.  वैसे आपको बता दें, कि Collector विनीत नंदवार की कहानी भी कम संघर्ष से भरी नहीं रही है. वे सरकारी स्कूल में पढ़े हैं.  बताया जाता है कि उनके चाचा ओमप्रकाश नंदनवार बचपन से कहा करते थे, कि तुम्हें Collector ही बनना है ।

यहीं से उन्हें प्रेरणा मिली । लेकिन उनका सफर इतना आसान भी नहीं रहा. 2004 में उन्होने शिक्षाकर्मी का इंटरव्यू भी दिया । पर वे सफल नहीं हो पाए। इतना ही नहीं आइएएस की परीक्षा पास करने से पहले, उन्होने बालको में काम किया. फिर उन्होने दिल्ली जाकर सिविल सेवा की तैयारी की।  उन्होने हिंदी माध्यम से ही पूरी परीक्षा, और इंटरव्यू भी दिया था ।  लगातार कई साल वे मेहनत करते रहे. तीन बार असफल रहे. लेकिन उन्होने हिम्मत नहीं हारी. फिर उनकी मेहनत आखिरकार रंग लाई. चौथे प्रयास में विनीत 227वीं रैंक लाने में सफल रहे ।

मूल रूप से जगदलपुर के रहने वाले विनीत, सुकमा में Collector का पद संभालने से पहले, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एडिशनल Collector  थे. इसके बाद उन्हें नक्सल प्रभावित सुकमा में Collector की जिम्मेदारी इन्हें मिली. जिसे वे बखूबी निभा रहे थे. इलाके के लिए उनके कामों को भी सराहा जा रहा था. लेकिन एक दिन अचानक जब चिंगारी ने आग का रूप लिया तो सब सामने आ गया.

दरअसल Collector  साहब उन्हीं आदिवासियों की ताकत को कम आंक बैठे. जिस इलाके में उनकी तूती बोलती है. आदिवासी नेताओं की ओर से कहा गया कि Collector  साहब ने उन्हें करीब 40 मिनट ऑफिस में बैठाया. इसके बाद उनसे मिलने से ही मना कर दिया. बस यही बात, आदिवासियों के लिए नाराजगी की वजह बन गई.

अब सुकमा के कई आदिवासी एकजुट होकर Collector  को हटाने की मांग कर रहे हैं. यही नहीं, इस मांग को लेकर उन्होने Collector ऑफिस तक को कब्जे में ले लिया था. इस दौरान गुस्साई भीड़े के बीच Collector  की गाड़ी भी वहां से गुजरती हुई दिखी. आपको बता दें कि ये वही सुकमा जिला है, जहां नक्सलियों ने साल 2012 में Collector  एल एक्स पॉल मेनन को अगवा कर लिया था.

जिन्हें करीब 12 दिनों तक बंधक बनाए रखा. लिहाजा ये जरूर कहा जा सकता है, कि ऐसे संवेदनशील इलाके में अधिकारी-कर्मचारियों को और अधिक संवेदनशील होने की जरूरत है. ताकि पिछड़े और आदिवासी इलाके के लोग, खुदको अपमानित महसूस न करें. आप इस पूरे विषय में क्या सोचते हैं, नीचे कमेंट कर जरूर बताएं.

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