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आखिर बूढ़ातालाब में कूदने क्यों मजबूर हुईं यह महिलाएं ? कहा जीने की अब इच्छा नहीं !

द अनुकम्पा नियुक्ति की मांग

रायपुर। बूढ़ातालाब में कूदकर जान देने की इच्छुक यह वो महिलाएं हैं जो बीते एक महीने से राजधानी रायपुर में धरना दे रहीं हैं। यह महिलाएं पिछले एक महीने से रायपुर में अपने दिवंगत पतियों के गुज़र जाने के बाद अनुकम्पा नियुक्ति की मांग कर रहीं हैं। जलसमाधि लेने को आतुर यह महिलाएं दिवंगत पंचायत शिक्षकर्मी संघ से वास्ता रखती हैं और बीते 4 सालों में अनेकों बार अपनी नौकरी के लिए प्रदर्शन कर चुकी हैं।

मगर यह महिलाएं एकाएक जान देने के लिए बूढ़ातालाब में क्यों कूद पड़ीं ? चलिए हम आपको बताते हैं, दरअसल इन विधवा महिलाओं के पति छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों के पंचायत स्तर के स्कूलों में पदस्थ थे। जिनकी अब मौत हो चुकी है। किसी को हादसे ने इनसे छीन लिया तो किसी को किसी बीमारी ने लील लिया। अब उनके गुज़र जाने के बाद यह महिलाएं अनुकम्पा नियुक्ति की मांग कर रहीं हैं। प्रदर्शन करने वाली महिलाओं के मुताबिक जब प्रदेश में वर्तमान सरकार तत्कालीन विपक्ष में थी तब उसने इनकी सुध ली थी। वादा किया था कि सरकार में आने के बाद इन्हें इनका हक़ दिया जाएगा।

दिवंगत शिक्षकों की पत्नियां 12वीं पास हैं, किसी ने बीएड भी किया है। अब इन्हें टीचर एजिबिलिटी टेस्ट, D.ED के बिना अनुकम्पा नियुक्ति न दिए जाने का नियम बताया जा रहा है। दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकम्पा संघ के मुताबिक 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इन्हें आश्वासन दिया था कि सरकार बनने के बाद नियमों को शिथिल करते हुए इन्हें सरकारी नौकरी दी जाएगी। अब चूंकि यहाँ शैक्षणिक योग्यता का भी एक पेंच फंस रहा है ऐसे में इन महिलाओं का कहना है कि अब अपने पति के गुज़र जाने के बाद घर का ही गुज़र-बसर करना बड़ा मुश्किल है ऊपर से बच्चों की पढाई करवाएं या खुद कोर्स करें ? इनकी मांग है कि जिनकी जैसी योग्यता है उसे वैसा रोजगार सरकार द्वारा दिया जाए।

मगर अपनी मांगों पर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिए जाने और अपने हालातों की सुध ना लिए जाने से आहत रायपुर में पिछले करीब 1 महीने से धरना दे रही विधवा महिलाओं के सब्र का बांध टूट पड़ा। ये बूढ़ा तालाब में छलांग लगाने लगीं। कहने लगीं कि अब जीकर कोई फायदा नहीं। पानी में जल समाधी ले लेंगीं। ऐसा करने से पुलिस ने इन्हें रोका। काफी देर तक बूढ़ातालाब के किनारे तनाव की स्थिति बनी रही। महिलाओं के मुताबिक ज़िम्मेदारों ने इन्हें अनुकम्पा नियुक्ति नहीं दी है। इसी वजह से तंग आकर महिलाओं ने जल समाधी लेने का प्रयास किया। पुलिस ने जैसे-तैसे इन्हें समझाकर वापस धरना स्थल भेजा। महिलाओं ने कहा कि आने वाले दिनों में इनकी मांग पूरी नहीं होती तो और बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएंगी। फिलहाल महिलाओं ने धरना स्थल पर ही डटे रहने का फैसला किया है।

महिलाओं ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि जिन शिक्षकों का संविलियन हुआ उनके परिवार को सरकार ने अनुकम्पा नियुक्ति दे दी,उनके पति भी तो पढ़ाते थे। फिर उन्हें क्यों इतना त्रस्त किया जा रहा है, उनकी तकलीफ कोई नहीं समझ रहा। बहरहाल इनके इस कदम के बाद शासन-प्रशासन इसपर क्या और कब तक संज्ञान लेता है यह देखने वाली बात होगी। मगर इनके इस कदम पर आप किसे ज़िम्मेदार मानते हैं ? सरकार और सरकारी अफसरों को क्या इनकी मांगों को जल्द पूरा करना चाहिए ? क्या इनकी मांगें जायज़ हैं जिनपर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है ?

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