छत्तीसगढ़रायपुर

रायपुर : बसपा और जेसीसीजे दो दल, एक दिल : अमित जोगी

रायपुर : जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अध्यक्ष अजीत जोगी जी की बहू श्रीमती ऋचा जोगी को बहुजन समाज पार्टी द्वारा अकलतरा विधानसभा से अपना प्रत्याशी घोषित किये जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए बसपा प्रत्याशी ऋचा जोगी के पति एवं मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा कि बसपा और जेसीसीजे दो दल, एक दिल हैं।
ऋचा जोगी जी को अकलतरा से बसपा प्रत्याशी बनाया जाना दोनो दलों की एकता का प्रतीक है। बसपा और जेसीसीजे का रिश्ता बहन-भाई का रिश्ता है जो समान विचार और वृहद जनाधार के बल पर छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने जा रहा है। हाथी और हल में कोई अंतर नही है। चुनाव जीतने के लिए लड़ा जाता है, कहीं हाथी के पांव मजबूत हैं तो कहीं हल का बल ज्यादा है और इसी अनुसार हमने अपनी रणनीति पर काम किया है।
दोनो दलों का जनाधार बंटे न इस हेतु, यह एक रणनीतिक और नैतिक निर्णय लिया गया है। इस निर्णय से  अकलतरावासी अत्यंत खुश और उत्साहित हैं। नाखुश और दुखी, केवल दिल्ली के दोनों दल हैं जो अकलतरा से हारने के डर से खिसयानी बिल्ली की तरह खम्बा नोच रहे हैं और बेतुकी बयानबाजी कर रहे हैं।

2 )कोरबा : आतिशबाजी के बीच किया गया रावण दहन

कोरबा : शुक्रवार को विजयादशमी के पर्व पर शहर के साथ उप नगरीय क्षेत्रों में उत्साह का माहौल रहा। आतिशबाजी के बीच रावण के पुतले का दहन किया गया।
एचटीपीपी लाल मैदान, एमपी नगर फेस-1, मुड़ापार, पुराना बस स्टैण्ड में आतिशबाजी आकर्षण का केन्द्र रहा। करमा दल ने लोगों का खूब मनोरंजन भी किया। एमपी नगर, मुड़ापार, बालको, राजेन्द्र प्रसाद नगर, उप नगरीय क्षेत्र कुसमुंडा, बांकीमोंगरा, गेवरा-दीपका क्षेत्र में भी रावण का दहन किया गया। दशहरा उत्सव समितियों ने चुनाव आचार संहिता के कारण इस बार राजनीतिक दलों के नेताओं से परहेज किया। इसी वजह से समितियों ने रावण दहन के लिए स्थानीय व्यापारियों को ही बुलाया था।
एचटीपीपी लाल मैदान में पावर प्लांट के अधिकारी शामिल हुए। पहले सभी समितियां सांसद, विधायक व जनप्रतिनिधियों को अतिथि बनाती थीं। चुनाव आचार संहिता के कारण पहले से ही प्रशासन ने कह दिया था कि उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जाएगी। यहां तक उनके फोटो लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। भीड़ को देखते हुए सभी जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। घंटाघर से सुभाष चौक के बीच सबसे अधिक भी? रही। बालको क्षेत्र में आसपास गांव के लोग भी दशहरा देखने पहुंचे। मौसम भी इस बार अनुकूल रहा। डेढ़ माह से बारिश ही नहीं हुई है, जिसके कारण बाहर से आने वाले ग्रामीणों की संख्या अधिक थी।
ग्रामीण क्षेत्रों में अब अलग-अलग दिन दशहरा उत्सव मनाने की परंपरा पिछले कुछ सालों से शुरू हुई है। हालांकि राजनीतिक दल से जुड़े पदाधिकारी अतिथि बनने से कतरा रहे हैं। इसके बाद भी दशहरा के बहाने सियासत भी शुरू हो जाएगा। भले ही भाजपा-कांग्रेस ने अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है।
https://www.youtube.com/watch?v=NrY9QOHhjrM

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button