देशबड़ी खबरें

नईदिल्ली : मनोचिकित्सक से सलाह लेने का मतलब पागल होना नहीं है

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को अपने एक फैसले में कहा कि मनोचिकित्सक की सलाह लेने का मतलब किसी का पागल होना नहीं है, बल्कि आज के तनावपूर्ण जीवन में मनोचिकित्सक से मिलना आम बात है। जस्टिस विपिन सांघी और पी.एस.तेजी की पीठ ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही और साथ ही सिर्फ मनोचिकित्सक से सलाह लेने के आधार पर उसकी एक साल की बेटी को उससे अलग रखने का फैसला देने से इनकार कर दिया।

तनावपूर्ण जीवन में मनोचिकित्सक से मिलना आम बात

इस महिला ने याचिका में मांग की थी कि कोर्ट उसके पति को निर्देश दे कि वह बच्ची को सुनवाई के दौरान पेश करे जिसको उसके सास-ससुर जबरन उससे अलग रख रहे थे। कोर्ट ने मां को बच्ची की अंतरिम कस्टडी देते हुए पति की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया जिसमें उसने कहा था कि बच्ची मां से प्राकृतिक रूप से जुड़ी हुई नहीं है और वह सरोगेसी से पैदा हुई है। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर मां को अपनी बच्ची से कम प्यार नहीं हो सकता।

याचिका में मांग की थी कि कोर्ट उसके पति को निर्देश दे

कोर्ट ने कहा, जहां तक बच्ची का सवाल है वह एक साल की लडक़ी है। भले ही उसका जन्म सरोगेसी से हुआ है, क्योंकि याचिकाकर्ता का दो बार गर्भपात हो गया था, वह उस बच्चे की जैविक मां नहीं है, वादी (पति) बच्ची का जैविक पिता है। हम पति की दलील को नहीं स्वीकार कर सकते कि जैविक मां न होने के कारण वह बच्ची से कम प्यार करेगी।

याचिकाकर्ता का दो बार गर्भपात हो गया था,

वहीं महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर कोर्ट ने कहा कि तनाव के कई कारण हो सकते हैं और इस वजह से महिला अपना इलाज करा रही थी और सिर्फ इलाज कराने का मतलब यह नहीं है कि उसका मानसिक संतुलन ठीक नहीं है।
कोर्ट ने कहा, महिला के साथ हमारी बातचीत से हमें ऐसा नहीं लगा कि वह मानसिक रूप से अस्थिर है और वह अपनी बच्ची का ख्याल नहीं रख सकती। आज के वक्त में जब इंसान जीवन की अलग-अलग अवस्था के कारण तनाव से जूझ रहा है, ऐसे में इंसान एक प्रशिक्षित सलाहकार की मदद ले सकता है। किसी मनोवैज्ञानिक या सलाहकार से सलाह लेना अब हमारे

समाज में टैबू नहीं रह गया है।

महिला ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि दिसंबर 2017 में उसकी इजाजत पर उसके ससुर बच्ची को थाईलैंड और दुबई ले गए थे। वह खुद दुबई जाकर छुट्टियों पर बच्ची को अमेरिका ले जाना चाहती थी, लेकिन उसके सास-ससुर ने बच्ची को देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि बच्ची का पासपोर्ट भी देने से इनाकर कर दिया गया।

वह खुद दुबई जाकर छुट्टियों पर बच्ची को अमेरिका ले जाना चाहती थी

इसके बाद महिला की उसके पति से लड़ाई हुई और उसे घर से निकलने कह दिया गया। इसके बाद उसने दिल्ली लौटकर अपने पति के खिलाफ याचिका दायर की। बच्ची को दिल्ली तो लाया गया, लेकिन उसे दादा-दादी के पास रखा गया था। अब महिला को बच्ची की कस्टडी मिल गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button