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कोरबा : बीच शहर में आ धमका हाथियों का झुंड

कोरबा : जिले में लंबे समय से हाथियों की चहलकदमी मानव जीवन के लिए दिन ब दिन बड़ा संकट बनता जा रहा है।पहले जंगलो में और अब खेतों की फसल कटाई के बाद बस्तियोंं, खलिहानों व सब्जी बाडिय़ों में हाथियों की धमक से लोग भयाक्रांत है।गत सोम-मंगल की दरमियानी रात हाथियों का एक दल शहर के करीब दादर बस्ती पहुँच गया।और अभी भी शहर के इर्द गिर्द मंडरा रहा है।
ज्ञात हो कि कोरबा के साथ कटघोरा वनमंडल क्षेत्र में हाथियों की आमद से ग्रामीण लगातार परेशान व दहशतजदा है।हाथियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है।

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और फसल हानि के साथ जनहानि भी थमने का नाम नहीं ले रहा है।वन विभाग ने भी हाथियों के आतंक से निजात दिलाने अब तक कोई स्थाई विकल्प नही ढूंढ पाया।तथा जिलेवासियों को जंगली हाथियों से मुक्ति नहीं मिल पा रहा है।अब ग्रामीणों के साथ शहरवासी भी दहशत में है।ग्रामीण इलाकों में तो हालात यह है कि जंगल जाने के लिए अब ग्रामीण कतरा रहे हैं।इधर ग्रामीणों में आक्रोश भी है।
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को हाथियों का लोकशन नहीं देने के कारण जन हानि हो रही है।जबकि विभाग का कहना है कि ग्रामीणों को लगातार अलर्ट करने के साथ सक्रियता बरती जा रही है।देखा जाए तो अब तक हाथियों के तबाही से जानमाल की काफी क्षति हुई है।

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गौरतलब है कि खेतों में धान फसल की कटाई के बाद अब हाथियों को भोजन नहीं मिल पा रहा है।भोजन की तलाश में हाथी खेतों के बजाए अब रिहायशी इलाके,खलिहान व सब्जी बाड़ी में प्रवेश कर रहे हैं।लोगो की उम्मीद अब नई सरकार से है।क्योंकि कांग्रेस के चुनावी जन घोषणापत्र के अनुसार लेमरू व कोरबा वन क्षेत्रों को हाथी और वन्य अभ्यारण स्थापित कर जंगलों को वाइल्डलाइफ कॉरिडोर से जोडऩे घोषणा किया गया था।

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