चुनावी चौपालमध्यप्रदेश

स्पीकर चुनाव की आड़ में कांग्रेस को दबाव और खतरे में डालने का खेल : BJP का आदिवासी कार्ड

भारी कश्मकश और अंदरूनी घमासान के बाद मध्यप्रदेश में भाजपा ने स्पीकर पद को लेकर अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया है. सत्ता से बेदखल भाजपा का संख्या बल 109 है. ये बहुमत के आंकड़े से 7 कम है और कांग्रेस से 5. बावजूद इसके भाजपा का स्पीकर को लेकर चुनाव लड़ना बता रहा है कि वो सत्तारूढ़ कांग्रेस को दबाव की राजनीति में उलझाना चाहती है. अपने आदिवासी वोटबैंक पर झटका खा चुकी भाजपा ने विजय शाह को उम्मीदवार बनाकर आदिवासी कार्ड खेला है.

शिवराज अलग – थलग
कांग्रेस अपने 114 विधायकों, निदर्लीय उम्मीदवारों , सपा- बसपा के साथ एकजुट दिखाई दे रही है. ऐसी हालत में भाजपा के लिए संभावनाएं कम दिख रही हैं. बावजूद इसके वो मैदान में है. इस पूरे घटनाक्रम में एक बात साफ हो गई है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अपनी ही पार्टी में अलग –थलग दिखाई दे रहे हैं. रविवार को देर रात तक शिवराज सिंह के घर पर हुई कई दौर की बैठकों में यह फैसला नहीं हो पाया था. शिवराज की राय थी कि स्पीकर का चुनाव नहीं लड़ा जाए. लेकिन भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और नरोत्तम मिश्रा की सक्रियता और प्रदेश संगठन की रायशुमारी के बाद ये फैसला हो गया.

भाजपा के इस संभावित खेल से वाक़िफ कांग्रेस ने पिछले दो दिन से भोपाल में सभी विधायकों को एक होटल में रुकवा दिया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह दो दिन से हर विधायक के संपर्क में हैं. कई मंत्रियों को विधायकों के लिए मुस्तैद किया गया. वहीं सिंह ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप भी लगाएं. रविवार शाम मुख्यमंत्री कमनलाथ के पावर डिनर में कांग्रेस के सभी विधायकों, निर्दलीय विधायकों, बसपा- सपा ने शिरकत कर समर्थन को साबित किया है.

सिंधिया ने लगाई ताकत
कुछ पेंच फंसा था, वो भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी के बाद साफ हो गया. सिंधिया को विशेष प्लेन से देर शाम शिवपुरी से बुलवाया गया. सिंधिया ने मीटिंग के बाद खुलकर भाजपा पर आरोप लगाए कि उसके पास न तो हॉर्स है न बिजनेस. दरअसल सरकार बनने के बाद कांग्रेस में असंतोष के स्वर खुलकर सामने आ रहे हैं. सपा- बसपा ने भी मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज़गी जताई है. यही वजह है कि भाजपा कुछ हद तक उम्मीद पाल बैठी है.

बसपा- सपा. निदर्लीय फायदे में
भाजपा के इस चुनावी दबाव का फायदा कांग्रेस के सहयोगी दलों और निदर्लीय विधायकों को होने जा रहा है. कमलनाथ सरकार जल्द ही अपना कैबिनेट विस्तार करने जा रही है जिसमें सपा बसपा के विधायकों को मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. स्पीकर का चुनाव मंगलवार को होना है. भाजपा का ये दांव कांग्रेस संख्या बल के लिहाज़ से डराने का है. अपने 109 विधायकों से इतर उसे एक भी वोट हासिल होता है तो वो भाजपा की रणनीतिक सफलता होगी. बीजेपी संख्या बल के हिसाब से हमेशा कांग्रेस को घेरती रहेगी.

डिप्टी स्पीकर पर नुक़सान
इस पूरी कवायद का एक नुकसान भाजपा हो सीधा हो रहा है. प्रोटोकॉल के हिसाब से विपक्षी दल को डिप्टी स्पीकर का पद दिया जाता है. लेकिन  स्पीकर का चुनाव होने के कारण कांग्रेस अब भाजपा को डिप्टी स्पीकर का पद नहीं देगी.

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